Wednesday, January 9, 2013

चलो आधार कार्ड बनाने वाले आये है


आधार कार्ड बनाने का कैम्प गाव मे खुला. पिछली बार किसी स्मार्ट कार्ड बनाने कि मोहीम के दरमियान हुई अव्यवस्था और मारपीट से संज्ञान लेकर इस बार वार्ड के हिसाब से लोगो को बुलाया गया........ अब सरकारी कार्ड है तो कुछ नं कुछ फायदेवाला मामला हि होगा, ये सोच कर ग्रामसभा कि तरफ सालो साल रुख न करनेवाले लोगो के हुजुम के हुजुम उलटने लगे. अपना नंबर लगाने कि जुगत शुरू हो गई. चल फिर न सकनेवाले बुढे,यहा तक कि मरीज लोगो तक को उनके परिजनोंद्वारा कैम्प मे लाया गया.......... कुछ जुगाडू किस्म के लोग नंबर पहले लगाने का जुगाड करने का प्रयास करने लगे. जब कुछ जुगाड न हो सका तो खिज कर दोबारा कतार मे लगे........ ऑफिस के बाहर खडी कतार धीरे धीरे आधार कर्मचारियो के आजुबाजू जमा होने लगी. फिरसे लोगो के झगडे चालू होने कि नौबत......कतार का नामोनिशान लगभग खत्म होने कि कगार पर.....भीड का हो हल्ला देख कर ग्रामपंचायत का पियक्कड चपरासी लोगो पर झल्लाना चालू कर देता है .........इस पर लोग उसे उसी कि झल्लाहट से चूप बैठने को केहते है.......चपरासी सहम कर बैठ जाता है......बाहर बैठा एक गांव का हि लडका जो लोगो के फॉर्म भरके उनकी मदद करता है, अंदर आकर लोगों से शांत रेहने कि अपील करता है.......जैसे हि उसकी अपील खत्म होती है भीड के बीच मे से हि कोई व्यक्ती जय हिंद जय भारत का एक नारा जो भाषण समाप्त होते हि वक्ता बोलता है, लगभग उसी स्वर मे बोलता है.......अपील करनेवाला लडका लोगो के चीढाने वाले रवय्ये से कुछ ना बोलते हुये वहा से निकल जाता है.....................कतार के अंत मे खडी कुछ महिलाये जो गांव नाते से दादी लगती है कान मे बुदबुदाती है कि पोते के जमाने मे क्या दिक्कत हो रही है........                                                                                                               बेटा नंबर जल्दी लग सकता है क्या?????                                                ........जवाब कुछ नही.......अनसुना करके वहा से निकल जाने के अलावा और कोई  पर्याय भी क्या बचता है?  बीच मे हि एक खडूस रवैय्ये का आदमी वहा आके हो हल्ला मचाता है........केहता है कि,                                                                         अंदर कुछ काला पिला हो रहा है....अपने अपने खास आदमियो का पहले नंबर लगाया जा रहा है........                                                                              वास्तव मे ऐसा कुछ भी नही हो रहा......पता नही किस सी.बी.आई. से उसे रिपोर्ट मिली थी. कायदे और कानून कि बात करने वाला वो व्यक्ती अपने पिता कि हत्या के लिये पहलेसे हि कुख्यात है.........मामला थोडी देर बाद शांत होता है........कतार मे धीरे धीरे लोग जुडते रेहते है........जिनकी कार्ड बनाने की प्रक्रिया पुरी हुई वो लोग खुशी खुशी निकल जाते है........कतार खत्म होने का नामोनिशान नही.....बीच बीच मे आधार वालो का कम्प्युटर दगा देता रेहता है......वो भी हैराण परेशान.......!!!                                                                सरकारी कार्ड बनाने की प्रक्रिया चलती रहती है.              

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