ईश्वर एवं भूत
प्रेतो कि बाते भलेही रहस्य,दंतकथा या मात्र एक खयाली पुलाव माना जाता हो लेकिन सच
ये भी है कि इन्हे मानने वाली बहुसंख्य आबादी भी इसी विश्व मे रहती है. एक समुदाय
इनमे इन सब चीजों का घोर विरोध करने वाला भी है. “अंधश्रद्धा निर्मुलन समितीया”
भारत मे है इसकी जानकारी मुझे भली भाती पता है लेकिन संभव है कि विश्व भर मे भी
इनका एक बडा समुदाय वास करता है. मै स्वयं को इन दोनो समुदायो से भिन्न पाता हू.
क्यूंकी जैसे मै “ईश्वर” इस संकल्पना मे विश्वास रखता हू जो सकारात्मक उर्जा के
प्रतिक मे हम मानते है; तो स्वयं हि इसका दुसरा पहलू जो “नकारात्मक उर्जा” है,भला
हम इसे कैसे नजरअंदाज कर सकते है??
मानवी जीवन मे कई बार हमारे साथ
कभी-कभी ऐसी रहस्यमई घटनाऐ घट जाती है तब ना चाहते हुये भी इन भूत-प्रेतो के
अस्तित्व पर कोई प्रश्नचिन्ह लगाने का दुस्साहस करने कि हिम्मत नही होती. मेरे खुद
के साथ भी ऐसा हि दो बार घटित हो चुका है. उन दोनो घटनाओं का उल्लेख करने से मै
खुदको नही रोक पा रहा. आप भी इन्हे पढिये और अपनी अपनी सोच के मुताबिक इसका मतलब
निकालीये. लेकिन इसका ऐ मतलब कतई ना निकाले कि अंधश्रधा को अपने इस लेख के माध्यम
से मै कोई उर्जा पुरा रहा हू. जो मेरे साथ घटित हुआ वो घटनाऐ मात्र यहा आपके साथ
साझा कर रहा हू.
घटना क्रमांक-१
बात उन दिनो
कि है जब मै करीब १४-१५ वर्ष कि आयु का रहा होउंगा. हमारे गाव से करीब ५ कि.मी. के
दुरी पर घने जंगलो से घीरा एक पहाड है. हमारे पडदादाजी के जमाने से उस पहाडी के
शीर्ष पर एक मंदिर है.